“लूट के मामलों ने उत्तराखंड के जॉर्ज एवरेस्ट पार्क को किया बदनाम”

“लूट के मामलों ने उत्तराखंड के जॉर्ज एवरेस्ट पार्क को किया बदनाम”

देहरादून। उत्तराखंड सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा संचालित जॉर्ज एवरेस्ट पार्क, जो मसूरी के प्रसिद्ध हाथी पांव क्षेत्र में स्थित है, में पर्यटकों को खुलेआम लूटा जा रहा है। प्रवेश शुल्क के नाम पर वाहनों से ₹1000 और प्रति व्यक्ति ₹200 की वसूली की जा रही है। इसके अलावा, म्यूजियम आदि के लिए अलग से शुल्क लिया जा रहा है, जिससे पर्यटकों की परेशानियाँ बढ़ गई हैं।

यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब यह पता चलता है कि इस 172.91 एकड़ भूमि में से 140 एकड़ भूमि को एक एरोस्पेस कंपनी को लंबी लीज पर दे दिया गया है। यह कंपनी ही हेलीसेवा भी संचालित कर रही है, जबकि इस क्षेत्र के बिनोगी पक्षी अभ्यारण में ध्वनि प्रदूषण और वन्यजीव संरक्षण के मानकों का उल्लंघन हो रहा है। इसके बावजूद, वन संरक्षण अधिनियम और एनजीटी/सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों का आरोप है कि इस कंपनी में पर्यटन मंत्री के परिवार के सदस्य की हिस्सेदारी है, जिससे कंपनी को अधिक सुविधाएं दी जा रही हैं। स्थानीय लोगों और निवासियों के आवागमन पर भी रोक लगा दी गई है, खासकर 1979 से वहां रहने वाले एक अनुसूचित जाति के परिवार को, जिनके घर के आगे तारबाड़ लगाकर उनका रास्ता बंद कर दिया गया है। उन्हें मजबूर किया जा रहा है कि वे दूसरे कठिन पहाड़ी रास्ते का उपयोग करें।

पर्यटन विभाग और कंपनी की इस अंधेरगर्दी के कारण स्थानीय लोग भी परेशान हैं। पर्यटक स्थल की सड़क, जो नगर पालिका की है, को मरम्मत कर पर्यटन विभाग अपनी बता रहा है और दबंगई से अपना कब्जा जमाए हुए है। नगर पालिका और पर्यटन विभाग के इस भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग ने एक शानदार पर्यटन स्थल को एक दर्दनाक कहानी में बदल दिया है।

इस सम्बन्ध मे स्थानीय लोग मुखर हो चुके हैं और इसका जमकर विरोध कर रहे हैं,दशकों से रह रहे नौटियाल ने तो इस प्रकरण मे सीबीआई जांच की मांग तक कर डाली है, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का यह सुंदर पर्यटन स्थल अब पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए मुसीबत का कारण बन गया है, जहाँ पर्यटन विभाग और कंपनी की मनमानी चरम पर है

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