प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारत-नेपाल को मिलकर करना होगा कार्य: डॉ. धस्माना

प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारत-नेपाल को मिलकर करना होगा कार्य: डॉ. धस्माना

देहरादून। भारत और नेपाल के बीच पर्वतीय क्षेत्रों में जल प्रबंधन के अनुभव साझा करने के उद्देश्य से नेपाल की दस नगरपालिकाओं के महापौरों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू), जौलीग्रांट पहुंचा। यह अध्ययन भ्रमण अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आईसीआईमोड) के नेतृत्व में आयोजित किया गया।

एसआरएचयू में आयोजित कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखंड और नेपाल दोनों ही हिमालयी क्षेत्रों में स्थित हैं और समान भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्राकृतिक आपदाओं, भूस्खलन और जल संकट जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे के अनुभवों से सीखते हुए जल संरक्षण के साझा प्रयास करने चाहिए।

डॉ. धस्माना ने बताया कि एसआरएचयू पिछले बीस वर्षों से पेयजल एवं स्वच्छता के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। संस्थान ने 600 से अधिक गांवों तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाया है, साथ ही गंगासागर से लेकर हिमालय तक जल संरक्षण और कौशल विकास से संबंधित परियोजनाएं 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में संचालित की जा रही हैं।

कार्यक्रम के दौरान शैक्षणिक विकास के महानिदेशक डॉ. विजेंद्र चौहान ने संस्थापक स्वामी राम और उनके सामाजिक कार्यों की जानकारी दी। कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने नेपाली प्रतिनिधिमंडल का आभार प्रकट किया। देहरादून के मेयर सौरभ थपलियाल ने नगर निगम की गतिविधियों से अवगत कराते हुए उन्हें देहरादून आमंत्रित किया।

इसके बाद तकनीकी सत्र में विश्वविद्यालय के सलाहकार एच.पी. उनियाल ने भारतीय हिमालय क्षेत्र में स्प्रिंगशेड प्रबंधन के कार्यों की जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग मॉडल और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का स्थलीय निरीक्षण भी करवाया गया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. ए.के. देवरारी, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ले.ज. दलजीत सिंह (सेनि), आईसीआईमोड नेपाल के डॉ. संजीव बुचर, पीएसआई के डॉ. देबाशीष सेन, डॉ. राजीव बिजल्वाण, नितेश कौशिक सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

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