बढ़िया खबर:CM की पहल प्लास्टिक बोतल का बारकोड करें स्कैन, पैसे करें प्राप्त

बढ़िया खबर:CM की पहल प्लास्टिक बोतल का बारकोड करें स्कैन, पैसे करें प्राप्त

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से संचालित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम (DDRS) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वयं प्लास्टिक की बोतल को बारकोड से स्कैन कर डिजिटल पेमेंट प्राप्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक की खपत को कम करने एवं अधिक से अधिक प्लास्टिक को रिसाइकल कर उसे इस्तेमाल में लाने के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण कदम है। कहा कि DDRS को धरातल में उतारने के लिए समन्वय से कार्य किए जाएं। यह पहल चारधाम यात्रा एवं अन्य पर्यटन स्थलों में भी कूड़े की खपत को कम करते हुए स्वच्छता का वातावरण बनाने में सहायक सिद्ध होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक की समस्या संपूर्ण विश्व के लिए चुनौती बन गई है। धार्मिक और पर्यटन स्थलों में प्लास्टिक की बड़ी समस्या के तौर पर सामने आती है। इसके समाधान के लिए राज्य सरकार ठोस कदम उठा रही है। राज्य में स्वच्छता का वातावरण बनाते हुए क्लीन उत्तराखण्ड, ग्रीन उत्तराखण्ड पर सरकार विशेष फोकस कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि DDRS को 2 साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उत्तराखण्ड में लाया गया था। जिसके सफल संचालन के लिए रुद्रप्रयाग जिले को डिजिटल इंडिया अवॉर्ड-2022 से भी सम्मानित किया गया था। कहा कि नदियां, जंगल, पहाड़ राज्य की धरोहर और पहचान है। प्लास्टिक हमारी इन धरोहरों को खतरे में डाल रही है। जिसके निस्तारण के लिए राज्य सरकार विज्ञान एवं आधुनिक तकनीक के प्रयोग से कार्य कर रही है।

इस अवसर पर बताया गया कि DDRS के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे का एकत्रिकरण सरल हो जाएगा। DDRS के तहत प्लास्टिक बोतल, प्लास्टिक पदार्थों का उत्पादन करने वाली इकाइयों द्वारा ’क्यूआर कोड सिस्टम’ जनित किया जाएगा। जिससे उपभोगताओं द्वारा प्लास्टिक पैकेजिंग में भंडारित पदार्थों का प्रयोग करने के पश्चात प्लास्टिक अपशिष्ट को नज़दीकी DDRS सेंटर को वापस किया जाएगा। बार कोड स्कैन करने के पश्चात उपभोक्ता को प्रत्येक प्लास्टिक अपशिष्ट पर एक निश्चित धनराशि वापस की जाएगी। DDRS के लागू होने से प्लास्टिक कचरे को सर्कुलर इकोनॉमी में वापस लाया जा सकेगा। जिससे संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा।

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