एचआईएमएस जौलीग्रांट में युवा पेशेवरों की भूमिका: एक महत्वपूर्ण सेमिनार
देहरादून। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) जौलीग्रांट में वैश्विक व सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों और स्वास्थ्य देखभाल के भविष्य को आकार देने में युवा पेशेवरों की भूमिका पर अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग की ओर से आदि कैलाश सभागार में व्याख्यान आयोजित किया गया। इसमें मुख्य वक्ता भारत में युनिसेफ के स्वास्थ्य प्रमुख लूई डी एक्विनो ने चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने निवारक और प्रोत्साहन स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर जोर दिया। विशेष रूप से प्रसवपूर्व देखभाल में क्योंकि गर्भावस्था के दौरान अधिकांश समय घर पर ही बिताया जाता है। उन्होंने महामारी और टेलीमेडिसिन की बढ़ती भूमिका और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य की बदलती स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तकनीक लोगों को जोड़ने में मदद कर सकती है, लेकिन यह मानव स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की जगह नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि उपचारात्मक देखभाल के बजाय निवारक पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा जैसी नीतियों के साथ मातृ और नवजात देखभाल में भारत की प्रगति को उल्लेखनीय बताया।
साथ ही प्रसव कक्षों में स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने पिछले 20 से 25 वर्षों में अस्पताल में प्रसव कराने में हुई उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की। साथ ही टीकाकरण और मातृ स्वास्थ्य में भारत की सफलता को सराहा। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल में एआई के प्रभाव, स्वास्थ्य देखभाल में पेशवरों की कमी आदि के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब भी दिया। इससे पूर्व एचआईएमएस के प्राचार्य डॉ. एके. देवरारी ने लूई डी एक्विनो व सारा एक्विनो को उनके योगदान और जानकारी देने के लिए सम्मानित किया। इस अवसर पर समन्वयक डॉ. जयंती सेमवाल, डॉ. शैली व्यास, डॉ. नेहा शर्मा उपस्थित थे।